Wednesday, July 8, 2009

बाँध के रखो इन ख्यालो को....कम्बखत आसमां तक उडान भरते है "

Thursday, July 2, 2009

उनकी भक्ति देखकर दंग रह गया।

अभी चंद रोज़ पहले अपने एक मित्र ललित के साथ साईं संध्या में जाने का अवसर प्राप्त हुआ.....मैं ॐ नगर में रहता हूँ और ये आयोजन हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था.....साईं बाबा में लोगों की कितनी आस्था है ये बताने के लिए वहा जमा भीड़ ही काफी थी। बड़ा ही भव्य आयोजन था। साईं बाबा की सोने की प्रतिमा और भक्तों की आस्था .........सचमुच मैं उनकी भक्ति देखकर दंग रह गया।"मैं यूं तो सहज ही महिलाओं के प्रति आकर्षित हो जाता हूँ मगर उस दिन मेरे आकर्षण की एक दूसरी वजह थी......महिलाओं और बालिकाओं के चेहरे पर मेक अप की बहुत मोटी परत चढी हुई थी....क्षण भर के लिए तो ये भ्रम हो गया की कहीं हम किसी उच्चस्तरीय विवाह में तो नहीं आ गए......वहां जमा भक्तों की भीड़ को देखकर मुझे इस सत्य का बोध हुआ की किसी भी धार्मिक समारोह में भली प्रकार सज धज कर जाना चाहिए। महिलाओं और बालिकाओं के चेहरों की चमक......उनकी भौंहों का संकरापन......और उनके महंगे आभूषण ये बयां करने के लिये काफी थे की वो पिछले तीन चार दिनों से इस आयोजन की तैयारियाँ कर रही होंगी।......"सचमुच मैं उनकी भक्ति देखकर दंग रह गया।"प्रसाद के रूप मे रात्रिभोज की व्यवस्था भी थी.....हम भी प्रसाद लेने के उदेश्य से संभ्रांत वर्ग की पंक्ति मे खड़े हो गये.....उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे इस आयोजन मे सबसे ग़रीब हम ही हैं॥ .फिर भी भगवान के दरबार मे ये भेद कहाँ होता है ... ये सोचकर मैं कतार ने निश्चिंत खड़ा रह... ॥ ....खैर प्रसाद का वितरण सुचारू रूप से चल रहा था...इतने मे एक व्यक्ति जो शायद फुटपाथ पर रहता था या संभवता रेहड़ लगता होगा वो पंडाल मे आया...उसने सोचा की बाबा का भंडारा है चलो यहीं भोजन हो जाएगा...लेकिन उसके बाद की घटना ने मुझे हतप्रभ कर दिया....कुछ आयोजनकर्ताओ और कुछ भक्तों ने उस बेचारे को दुतकार कर बाहर भगा दिया ..........."सचमुच मैं उनकी भक्ति देखकर दंग रह गया."।............... सर्वप्रथम मैं ये बता देना चाहूँगा कि मैं कोई लेखक नहीं हूँ..... बस अपने मन के कुछ विचार यहाँ पर प्रकट कर रहा हूँ ......अतः लेखन कि त्रुटियों को क्षमा करें.....