Saturday, November 23, 2013

दो- दो कुलों की लाज को ढोती हैं बेटियाँ

ओस की एक बूँद-सी होती हैं बेटियाँ
स्पर्श खुरदुरा हो तो रोती हैं बेटियाँ
रौशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को
दो- दो कुलों की लाज को ढोती हैं बेटियाँ
कोई नहीं है दोस्तो! एक-दूसरे से कम
हीरा अगर है बेटा, तो मोती हैं बेटियाँ
काँटों की राह पे ये खुद ही चलती रहेंगी
औरों के लिए फूल ही बोती हैं बेटियाँ
विधि का विधान है, यही दुनिया की रस्म है
मुट्ठी में भरे नीर-सी होती है बेटियाँ.

Saturday, November 2, 2013

साँवली बिटिया .

रंग सांवला बिटिया का 
कैसे ब्याह रचाऊँगा 
बेटे जो होते सांवले...
शिव और कृष्णा उन्हें बनाता 
बेटी को क्या उपमा दिलाऊंगा ....

पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
पर अपने रंग से थोड़ा सा लजाई है वो .......

गोरा तो गोरी ही चाहे
काले को भी गोरी ही मनभाए
सांवल किसी को क्यूँ ना सुहाए
प्रेम का रंग क्यूँ कोई देख ना पाए ......

वो भी सृजन है देवों का
करुणा , ममता उसमे भी है
घर की लक्ष्मी भी बन दिखाएगी वो
ग़र समझो उसे की वो अपनी है....

सांवली है पर संध्या है वो..
भोर की पहली सांवली बदरिया है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
सांवल है तो क्या??
बिटिया बड़ी ही प्यारी है वो......

पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो .

आप सभी को सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ....

मन के अँधेरे दूर भगाएँ 
मन में नया विश्वास जगाएँ ...

रोते हुए बच्चों को हसाएँ
सुने आँगन में प्यार के दीप जलाएँ ...

एक दीप जलाकर ,, एक पौधा लगाएँ
रोशनी के साथ ही हरियाली फैलाएँ ...

भूखे को रोटी खिलाएँ
भटके को राह दिखाएँ ...

भ्रष्टाचार को दूर भगाएँ
देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाएँ ...

निराशाओं में आशा बधाएँ
बुराइयों से खुद को बचाएँ ...

हाथ मिलाएँ , प्रेम बढाएँ

मन के सारे भ्रम मिटाएँ ...

अच्छा सीखे और सिखाएँ
आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ...