याद कीजिए बचपन में जब मा को आप पर गुस्सा आता था तो आप उन्हें कैसे मनाते थे। याद आया, बिल्कुल सही आप उनके गले लग जाते थे। तब आपको पता नहीं था कि आखिर मा के गले लगते ही उनका गुस्सा कहां चला जाता है। मगर गुस्सा चला जरूर जाता था। दरअसल जब हम किसी को गले से लगाते हैं तो शरीर के हार्मोन में बदलाव होने लगता है। गुस्से को बढ़ाने वाला मेल हार्मोन टेस्टेस्टरान कम होने लगता है और आपका गुस्सा शात हो जाता है।
ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे हैं। हाल ही में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की ओर से किए गए शोध में भी यह यह बात सामने आई है कि एक जादू की झप्पी से गुस्सा तुरंत पिघल जाता है। एक समाचारपत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की ओर से कराए गए शोध में यह बात सामने आई है कि आलिंगन और स्पर्श का संबंध कई ऐसे स्वास्थ्य गुणों से है जो तनाव और पीड़ा को कम करते हैं। शोध के अनुसार इसका प्रभाव सबसे ज्यादा महिलाओं पर होता है। यानी महिलाएं नाराज हों तो उन्हें जादू की झप्पी दे कर मनाया जा सकता है।
मनोविश्लेषक डाक्टर वंदना प्रकाश ने बताया गले लगाने के साथ ही हमारे शरीर से गुस्से को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हार्मोन तेजी से कम होने लगता है। किसी को गले लगाने में प्यार का एहसास होता है, यानी जब आप किसी को गले से लगाते हैं तो उसका सीधा मतलब होता है उसके प्रति प्यार जताना। उसे यह बताना कि आपसे गलती हो गई वह आपको माफ कर दे। अगर आम भाषा में कहें तो सिर्फ एक झप्पी गुस्से को मसके की तरह पिघला सकती है।
प्यार से गले लगाने का प्रचलन हमारे देश में हमेशा से रहा है। मगर गले मिलने का ट्रेंड चला फिल्म 'मुन्ना भई एमबीबीएस' से। जब फिल्म में मुन्ना भाई सभी को जादू की झप्पी देता था तो लोगों की आखों में आसू आ जाते थे। और इस फिल्म में किसी को गले लगाने के पीछे दर्शाई गई इच्छा ने उसे जादू की झप्पी बना दिया।
Saturday, February 12, 2011
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2 comments:
अच्छी जानकारी .आपकी यह ब्लाँग पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी ,आभार ।
सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और ब्लाँगर नन्दलाल भारती जी का साक्षात्कार पढने के लिए यहाँ क्लिक करेँ>>
भई मोनू जी विज्ञान—फिज्ञान का तो पता नहीं पर बात में दम है. सहमत.
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