Monday, September 2, 2013

काम वाली बाई

लगभग 2 हफ्ते पहले मेरी मकान मालकिन की काम वाली बाई, जो कि अपने पति के शराब पीकर आने, उनसे पैसे छीनने, बिना वजह मारने, और उनकी बेटियों को ना पढ़ने देने से पिछले कई सालों से पीड़ित थी, मेरे पास मदद के लिए आई थी, उनको महिला थाने जाकर पुलिस सहायता चाहिए थी !

उस दिन उनके पति ने उन्हें इस वजह से पीटा था क्योंकि रात को 1 बजे जब उनका पति घर लौटकर आया तो वो नींद लगने की वजह से दरवाज़ा नहीं खोल पायीं और उनकी सास ने दरवाज़ा खोला, जिससे उनके पति को गुस्सा आ गया कि उनकी माँ आधी रात को परेशान हुईं ! सुबह 8 बजे जब अपने एक तरफ के पूरे चेहरे पर मार का निशान लेकर रोती हुईं वो आई तो मैंने उन्हें दिलाशा दी और पुलिस की मदद मिलेगी ऐसा आश्वाशन दिया ! और वाकई ख़ुशी की बात है कि पुलिस की मदद मिली !

आज फिर मिली तो मैंने पूछा कि अभी सब कैसा चल रहा है, तो उन्होंने कहा कि ""अभी सब ठीक है, वो डर गया है मेरे इस कदम से, और उसने पुलिस काउंसलिंग के दौरान पुलिस के डांटने और चेतावनी देने पर, पुलिस से वादा भी किया है कि अब वह मुझ पर कभी हाथ नहीं उठाएगा !""

आज दी ख़ुश थी और मैं भी

अन्याय सहते रहना भी उतना ही ग़लत है जितना अन्याय करना... और कई बार डराने से भी काम चल जाता है, सामने वाले को सिर्फ ये अहसास कराने की ज़रुरत है कि हमें बोलना आता है और ज़रुरत पड़ेगी तो हम अपने लिए ज़रूर बोलेंगे... हम कमज़ोर नहीं

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