Wednesday, January 27, 2010

होमगार्ड : अब रात्रि गश्त का भी

होमगार्डो की हालत सुधरती नहीं दिख रही है। पुलिस की गुलामी से आजिज होमगार्डो पर जिम्मेदारियों का बोझ अब बढ़ता जा रहा है और सुविधाएं व मानदेय बढ़ाने की मांग अनसुनी है। अब उन्हे रात्रि गश्त में भी लगाया जाने लगा है।
प्रतापगढ़ जिले में होमगार्डो की बड़ी दुर्दशा है। सभी को एक साथ तैनाती नहीं मिलती। केवल 50 फीसदी को ही काम मिलता है। आधे छह महीने तक बेरोजगार रहते है। जो डयूटी पाते भी है, उन्हे अपने अधिकारियों को खुश करना पड़ता है। अभी तक होमगार्डो को साधारण कार्यो में लगाया जाता था। दिन में वे थाने चौकियों में लगते थे। रात में घर चले जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। होमगार्डो को रात्रि गश्त में भी लगाया जाने लगा है। बैंक डयूटी व जनसभाओं के साथ यातायात नियंत्रण में उन्हे पहले से ही तैनात किया जाता रहा है।
आम तौर पर रात्रि गश्त पुलिसकर्मी करते थे। उनकी निगरानी सीओ और कोतवाल के जिम्मे थी। अब होमगार्डो को भी इसमें लगाया जा रहा है। इनके अलावा चौकीदारों पर भी जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ा दिया गया है। उन्हे बैंकों व बाजारों की रखवाली में भी लगाया जा रहा है। हाथ में केवल डंडा संभाले ये चौकीदार और होमगार्ड मानदेय और अन्य सुविधाओं के लिए तरसते है। ठंड के मौसम में उन्हे गर्म वर्दी भी नहीं मिलती। शासन को होमगार्डो की दुर्दशा के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है।
जिले के करीब 18 सौ होमगार्डो की तस्वीर नहीं बदल रही है। महिला होमगार्डो की समस्याएं तो और भी बढ़ी है। रात दिन की डयूटी से वे परेशान रहती

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