तुम्हारा घर की छत की ओर भागना
सबसे बचते-बचाते
या भीतर के कमरे की ओर दौड़ना
सट से दरवाजा भिड़ा देना
या फिर लोगों के समूह में से
कहीं ओट में चले जाना
बता देता है सबको
जिसे चाहती हो तुम छुपाना
तुम्हे लगता है कोई
नहीं सुन पाया संवाद तुम्हारा
पर
तुम्हारे गालों का गुलाबीपन
आंखों की चमकीली नमी
होठों का गीलापन
कह देता है सब कुछ
जिसे चाहती हो तुम छुपाना।
(दो)
पहाड़ी की ओट से
निकल आया है आसमान में
पून्यो का चांद
आ रही है कहीं से
चूल्हे में सिंकते फुलके की
खुशबू
बढ़ा रही है जो मेरी नराई को
और भी ज्यादा।
ऐसे में मोबाइल
प्रतीत होता है मुझे
दुनिया की सबसे आत्मीय वस्तु
और उसकी घंटी
दुनिया का सबसे कर्णप्रिय संगीत।
Saturday, June 13, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
बड़ी सरल सी कविताएं.... एकदम ऐसी जैसे आदमी महसूस किया करता है.
बेहतरीन
bahut bahut dhanywaad ,,,,adarsh ji,,
Post a Comment