Tuesday, March 4, 2014

ये कैसी जिद, 'उन्हें' बचाने के लिए और कितनों की बलि

हैलट और उससे संबंद्ध अस्पतालों में बीते तीन दिनों में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण इलाज न मिलने से 21 मरीज दम तोड़ चुके हैं। चिकित्सा सेवाएं पंगु पड़ी हैं। जिंदगी खुद से डरने लगी है और बीमारी मौत बनकर पीछे दौड़ रही है, क्योंकि 'धरती का भगवान' रूठा है। वजह, उसने शरीर पर ढेरों लाठियां खाई हैं जिसके जख्म अभी ताजे हैं। एक तरफ न्याय के लिए चिकित्सा बिरादरी जिद पर अड़ी है तो दूसरी तरफ शासन और प्रशासन काले को सफेद बताने पर तुला है। ऐसे में सवाल है कि आखिर ये जिद क्यों? सिर्फ उन्हें बचाने के लिए जिन्होंने ये हालात पैदा किए। तीन दिन के नाटकीय घटनाक्रम पर नजर डालें तो इस 'जिद' की असली वजह खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी।
शुक्रवार को झगडे़ की शुरूआत सपा विधायक इरफान सोलंकी के साथ शुरू हुई और इसके बाद छात्रों को सबक सिखाने के लिए न सिर्फ लाठियां चटकाई गई बल्कि रबर बुलेट का भी इस्तेमाल हुआ। प्राचार्य और प्रोफेसर भी गुस्से का शिकार हुए। इसके सबूत हैं। सवाल यह है कि जब घटना हैलट अस्पताल के सामने हुई तो पुलिस मेडिकल कालेज कैंपस तक कैसे पहुंच गई। क्या छात्रों को खदेड़कर कैंपस गेट का ताला बंद नहीं किया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने एक कदम आगे जाकर सपा विधायक की ओर से एक और खुद दो मुकदमे 24 मेडिकल कालेज छात्रों के खिलाफ दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। घटना के विरोध में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए, और मामला शासन तक पहुंचा, इसलिए पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारी भी हरकत में आ गए लेकिन उनका मकसद सिर्फ हड़ताल खत्म कराने तक ही रहा। पहले डीएम ने कोशिश की और फिर कमिश्नर ने। दबी जुबान उच्चाधिकारी यह मान रहे हैं कि कार्रवाई कुछ ज्यादा हो गई, डीएम ने भी कहा कि कैंपस में घुसने की अनुमति नहीं ली गई, पर उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है, जिन्होंने अपनी सीमाओं को लांघा। फुटेज में ग्वालटोली के एसओ को पत्रकारों पर लाठियां बरसाते हुए देखा जा सकता है। एसओ पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? मारपीट तो सपा विधायक और उनके गनरों ने भी की, फिर उन पर मुकदमा कायम क्यों नहीं हुआ।
डॉक्टर एसएसपी और विधायक के निलंबन और हत्या के प्रयास का मुकदमा कायम कराने की जिद पर अडे़ हैं लेकिन प्रशासन पूरी तरह से डाक्टरों को ही दोषी ठहराने पर तुला है। सोमवार को आए विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा अरिंदम भट्टाचार्या, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता का रवैया नकारात्मक ही नजर आया। डीएम ने पहले एडीएम सिटी फिर एडीएम वित्त इसके बाद सीडीओ को जांच सौंपी और आज कन्नौज में सीएम अखिलेश यादव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की घोषणा भी की है। लेकिन सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर जांच-दर-जांच का यह सिलसिला कब तक चलेगा। 'अपनों' को बचाने के लिए अभी और कितनी बलि चढ़ाई जाएगी, जबकि हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।

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