नाम सरमन लाल अहिरवार, उम्र 48 वर्ष, रोजगार रिक्शा चलाना और शिक्षा के
नाम पर स्कूल का दरवाजा भी नहीं देखा है। सरमन अपना नाम भी हिंदी में ठीक
से नहीं लिख पाते, परंतु फ्रेंच, स्पैनिश और इटेलियन भाषा बोल लेते हैं।
विश्व प्रसिद्घ पर्यटन स्थल और पाषाण कला की बेजोड़ नगरी खजुराहो में सरमन लाल सिर्फ अकेले ऐसे नहीं हैं। उनके जैसे लोगों की तादाद सैकड़ों में हैं।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के कस्बे खजुराहो को दुनिया में कला की नगरी के तौर पर जाना जाता है। वहां मूर्तियों में काम और कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस कला को देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं।
यहां बड़े-बड़े होटल हैं, रेस्तरां हैं और सैलानियों की जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराने वाले बाजार भी हैं। इन स्थानों का संचालन ऐसे वर्ग के हाथ में है जो पढ़ा लिखा माना जाता है और वह कई भाषाओं की जानकारी रखने के सहारे अपने कारोबार को बढ़ाता है।
इन सबसे हटकर बहुत बड़ा एक वर्ग और भी है जिसकी जिंदगी रोज कमाने-खाने से चलती है। इनमें रिक्शा चलाने वाले, सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकान लगाकर सामान बेचने वाले और चाय पान की दुकान पर काम करने वाले शामिल हैं। इस वर्ग में बहुत ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें रोटी की मजबूरी ने स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखने दिया।
रोटी की मजबूरी ने यहां के उस वर्ग को भी अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पैनिश और इटैलियन भाषा सिखा दी है जो हिन्दी भी लिखना नहीं जानते। एक दुकान पर काम करने वाला राम कृपाल बताता है कि अब से कोई आठ साल पहले वह मंदिरों के आस पास घूमा करता था। रोटी कमाना उसकी भी मजबूरी थी। वह सिर्फ तीसरी कक्षा तक पढ़ा है। उसने धीरे-धीरे विदेशी सैलानियों से बात करने की कोशिश की और वह आज फ्रेंच, स्पैनिश और इटैलियन बोलने लगा है। वह बाहर से आने वाले सैलानियों के समूह को खजुराहों घुमाने में मदद करता है तथा माह में 15,000 रुपये तक कमा लेता है।
पर्यटन विभाग से मान्यता प्राप्त गाइड नरेन्द्र शर्मा बताते हैं कि रोटी की मजबूरी ने यहां के लोगों को भाषाएं सीखने को मजबूर किया है। यही कारण है कि रिक्शा चलाता, फुटपाथ पर सामान बेचता और होटल में पानी पिलाता मजदूर विदेशी भाषाएं बोलता नजर आ जाएगा।
वहीं दूसरी ओर यहां तैनात पुलिस जवानों को भी विदेशी भाषाएं सिखाने का अभियान चल रहा है। छतरपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल मिश्रा ने बताया है कि पिछले तीन माह से चल रही कोशिशों ने 10 ऐसे जवान तैयार कर दिए हैं जो विदेशी भाषा बोलने लगे हैं। इन जवानों को जानकार लोग विदेशी भाषाएं सिखा रहे हैं।
विश्व प्रसिद्घ पर्यटन स्थल और पाषाण कला की बेजोड़ नगरी खजुराहो में सरमन लाल सिर्फ अकेले ऐसे नहीं हैं। उनके जैसे लोगों की तादाद सैकड़ों में हैं।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के कस्बे खजुराहो को दुनिया में कला की नगरी के तौर पर जाना जाता है। वहां मूर्तियों में काम और कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस कला को देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं।
यहां बड़े-बड़े होटल हैं, रेस्तरां हैं और सैलानियों की जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराने वाले बाजार भी हैं। इन स्थानों का संचालन ऐसे वर्ग के हाथ में है जो पढ़ा लिखा माना जाता है और वह कई भाषाओं की जानकारी रखने के सहारे अपने कारोबार को बढ़ाता है।
इन सबसे हटकर बहुत बड़ा एक वर्ग और भी है जिसकी जिंदगी रोज कमाने-खाने से चलती है। इनमें रिक्शा चलाने वाले, सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकान लगाकर सामान बेचने वाले और चाय पान की दुकान पर काम करने वाले शामिल हैं। इस वर्ग में बहुत ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें रोटी की मजबूरी ने स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखने दिया।
रोटी की मजबूरी ने यहां के उस वर्ग को भी अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पैनिश और इटैलियन भाषा सिखा दी है जो हिन्दी भी लिखना नहीं जानते। एक दुकान पर काम करने वाला राम कृपाल बताता है कि अब से कोई आठ साल पहले वह मंदिरों के आस पास घूमा करता था। रोटी कमाना उसकी भी मजबूरी थी। वह सिर्फ तीसरी कक्षा तक पढ़ा है। उसने धीरे-धीरे विदेशी सैलानियों से बात करने की कोशिश की और वह आज फ्रेंच, स्पैनिश और इटैलियन बोलने लगा है। वह बाहर से आने वाले सैलानियों के समूह को खजुराहों घुमाने में मदद करता है तथा माह में 15,000 रुपये तक कमा लेता है।
पर्यटन विभाग से मान्यता प्राप्त गाइड नरेन्द्र शर्मा बताते हैं कि रोटी की मजबूरी ने यहां के लोगों को भाषाएं सीखने को मजबूर किया है। यही कारण है कि रिक्शा चलाता, फुटपाथ पर सामान बेचता और होटल में पानी पिलाता मजदूर विदेशी भाषाएं बोलता नजर आ जाएगा।
वहीं दूसरी ओर यहां तैनात पुलिस जवानों को भी विदेशी भाषाएं सिखाने का अभियान चल रहा है। छतरपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल मिश्रा ने बताया है कि पिछले तीन माह से चल रही कोशिशों ने 10 ऐसे जवान तैयार कर दिए हैं जो विदेशी भाषा बोलने लगे हैं। इन जवानों को जानकार लोग विदेशी भाषाएं सिखा रहे हैं।