मुझे भी समाज, अडोस-पड़ोस से पता चल गया की ये मेरा घर है, यही मेरा मोहल्ला
और यही मेरा समाज है। हमें इसी समाज मे रहना है,पर जब मैंने असंतुलित
समाज, गरीब-आमिर की खाई, भिखारी, भूख से बिलखते लोग, औरतो के शोषण को देखा
तो मै समझ गया की मै पैदा होने पे क्यों रोया था।
Saturday, April 19, 2014
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