Saturday, April 19, 2014

मुझे भी समाज, अडोस-पड़ोस से पता चल गया की ये मेरा घर है, यही मेरा मोहल्ला और यही मेरा समाज है। हमें इसी समाज मे  रहना है,पर जब मैंने असंतुलित समाज, गरीब-आमिर की खाई, भिखारी, भूख से बिलखते लोग, औरतो के शोषण को देखा तो मै  समझ गया की मै  पैदा होने पे क्यों रोया था।

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