Wednesday, April 23, 2014

हजारों प्रश्नों के हों लाखों संभावनाओं भरे जवाब

कीशू पांच साल का प्यारा सा बच्चा था। वह अपनी मां से दिनभर तरह-तरह के प्रश्न पूछता रहता था। कई बार उसकी मां को समझ नही आता था कि उसके प्रश्नों का क्या जवाब दे। एक दिन कीशू ने अपनी मां से पूछा कि उनके कुछ बाल सफेद क्यों हो रहे हैं। मां ने कहा कि उनकी उम्र  बढ़ रही है। कीशू उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ। फिर पूछ बैठा कि उम्र तो उसकी भी बढ़ रही है।
अब मां ने पीछा छुड़ाने के लिए कह दिया, जितनी बार बच्चा मां को तंग करता है हर बार उसकी मां का एक बाल सफेद हो जाता है। कीशू यह सुनकर तुरंत बोल पड़ा कि अब समझा दादा-दादी के सभी बाल सफेद क्यों हो गए। कीशू के प्रतिउत्तर से मां हैरान थी।
कहानी-2
सुधाकर अपनी बुद्धिमानी के लिए जाने जाते थे, इस वजह से कई लोग उनसे ईष्र्या करते थे। एक दिन उनका एक मित्र उनसे मिलने आया। मित्र बोला कि मुझे तुम्हें कुछ जरूरी बात कहनी है। सुधाकर किसी भी तरह की परनिंदा और फालतू बातों से दूर रहते थे। वह बोले की मुझे तुम ये बात बताओ इससे पहले मेरे तीन प्रश्न हैं। पहला- क्या यह बात सच है? मित्र बोला, नहीं मैंने किसी से सुनी है। फिर सुधाकर ने दूसरा प्रश्न किया- क्या यह बात मेरे बारे में है? मित्र ने कहा- नहीं। अब सुधाकर ने तीसरा प्रश्न किया- क्या इस बात से मुझे कोई लाभ होना है? मित्र बोला- शायद नहीं। अब सुधाकर बोले- अगर इस बात की सच्चाई का सुबूत नहीं, अगर ये मेरे लिए नहीं है और इसे जानकर मुझे कोई लाभ नहीं तो तुम ये मुझे मत बताओ।

इस तरह सुधाकर ने केवल प्रश्न पूछकर ही गैरजरूरी बात को रोक दिया। जवाब से ज्यादा महत्व प्रश्नों का होता है, क्योंकि जवाब तो प्रश्न पर निर्भर होता है। इसलिए प्रश्नों का स्वागत सहृदय करना चाहिए, उनसे बचने या टालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
कई सीख
हर अभिभावक इस परिस्थिति से गुजरता है जब बच्चों के अनगिनत सवाल होते हैं। हालांकि उनके सवाल कभी भी फिजूल नहीं होते हैं। उनके अजीब लगने वाले सवालों से शिक्षक और अभिभावक परेशान इसलिए होते हैं क्योंकि शायद उनके पास संतुष्ट करने वाले जवाब नहीं होते। बच्चों बहुत जिज्ञासु होते हैं। उनके नन्हे से मस्तिष्क में हजारों सवाल जन्म लेते हैं। जब वे इन सवालों के जवाब नहीं पाते तो जानकारी से अनभिज्ञ रह जाते हैं या फिर आगे प्रश्न करने से कतराने लगते हैं। कहीं-कहीं तो वे हीन महसूस करने लगते हैं।

कई बार शिक्षिका कक्षा में विषय समझाने के बाद प्रश्न पूछती है और बच्चों को सही जवाब देने के लिए कहा जाता है। बच्चों की दुविधा ये होती है कि पहले तो उनके अपने दिमाग में कई सवाल होते हैं, उस पर से सही जवाब की उम्मीद भी की जाती है तब बच्चा उत्तर आते हुए भी नहीं बोल पाता है कि कहीं जवाब गलत न हो जाए। सच्चाी शिक्षा में सही जवाब की शर्त नहीं होती बल्कि सही प्रश्न के लिए स्थान होना चाहिए। जब बच्चों को प्रश्न करने की आजादी होती है तब वे शिक्षा को ग्रहण कर पाते हैं और विषय का आधार मजबूत होता है। वैसे भी प्रश्न करना बच्चों की मानसिक उपस्थिति को दर्शाता है क्योंकि कक्षा में बच्चों की शारीरिक उपस्थिति के साथ-साथ मानसिक उपस्थिति भी अत्यंत आवश्यक है।

कुछ प्रश्न जो बच्चों आमतौर पर पूछते हैं
मैं आपकी शादी के वक्त कहां था? भगवान बच्चों को कहां बनाते हैं? ल्ल  बच्चों कैसे आते हैं? आसमान नीला क्यों है? नदियां कहां से आती हैं? कुछ बच्चों ये भी पूछते हैं-
सरकार कौन है? उसे कौन चलाता है  रुपये की कीमत कौन तय करता है?
अगर ऐसे सवाल बच्चों पूछते हैं और अभिभावकों को उत्तर नहीं पता या पता है पर बच्चों के उम्र के हिसाब से वे समझा नहीं पाते तब बच्चों के उम्र के हिसाब से उन्हें तर्क या उदाहरण देकर जवाब से संतुष्ट करें। जब वे पूछें कि वे कहां से आए हैं तो उन्हें पौधे का बीज बोकर पौधे के विकास के द्वारा जीवन की उत्पत्ति समझाएं।
प्रश्न पूछना जरूरी
प्रश्न पूछना जीवंत और ऊर्जावान मस्तिष्क की निशानी है जिसे किसी भी हालात में दबाना या हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। हजारों प्रश्न जन्म लेते हैं तब किसी नए विचार की उत्पत्ति होती है।

कोट
किसी भी व्यक्ति की बुद्धि की परख के लिए उसके द्वारा दिए गए उत्तरों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं उसके द्वारा पूछे गए प्रश्न।
    -वोल्टाइन
जिज्ञासा मानव मस्तिष्क का सबसे प्रथम और सरल भाव है।
    -एडमुंड बुर्के

समस्या-समाधान
बच्चों के सवालों से परेशान होकर कई बार आप उन्हें बहलाते हुए कुछ भी जवाब दे देते हैं।
उन्हें सुने और समझों कि उनके प्रश्न का क्या कारण है। उन्हें गलत जवाब न दें उससे वे किसी उलटी दिशा में सोचने लगेंगे। असल जवाब अगर उनकी उम्र में न समझ आये तो उन्हें मिलता जुलता उदाहरण दे दें।

आपको उनके प्रश्न का सही जवाब नहीं पता।
अगर शिक्षक या अभिभावक के तौर पर आपको सही जवाब नहीं पता है तो उन्हें साफ-साफ बता दें कि आपको सुनिश्चित जवाब नहीं पता है। परंतु आप ध्यान से उन्हें बाद में पता करके उत्तर दे दें। इससे वे आपका सम्मान करेंगे। साथ ही उनकी प्रश्न पूछने की हिम्मत  और आत्मविश्वास बना रहेगा।

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