Saturday, April 19, 2014

ईश्वर का साक्षात्कार…..

जब मै पैदा हुआ था तो मुझे नहीं पता था कि मै किस धर्म से हू, इस दुनिया में कोई सर्वशक्तिमान ईश्वर भी है , और न ही मेरे पैदा होते ही किसी ईश्वर ने मेरे बचपन के शुरुवाती वर्षो में आकर मुझसे अपना परिचय कराया था ! घर के लोग मंदिर जाते थे तो कौतुहल कि दृष्टि से मंदिर कि मूर्तियों को देखता था और माँ से पूछता था कि ये क्या है ये कौन है ? तो वो कहती थी बेटा भगवान है, तब जाकर कहीं मैंने ये जाना कि ये पत्थर कि मूर्ति भगवान है , पर अनिभिज्ञ था कि आखिर ये भगवान करत क्या है, सिर्फ हलवा पूरी और प्रसाद ही खाते है! तो फिर माँ से पूछा कि भगवान करते क्या है तो, उन्होंने एक सीधा-सपाट सा उत्तर दिया बेटा ये हमारी रक्षा करते है !
फिर सवाल रक्षा और किससे ? माँ बोली शैतान से !
अब ये शैतान कौन है , तो जवाब मिला वो जो इंसानों को खा जाता है !
अब डर लगा कि दुनिया में कोई ऐसा भी है जो इंसानों को खा जाता है तब तो भगवान को खुश रखना होगा कही वो शैतान मुझे ना खा ले !
अब जब भगवान को मानने लगा तो उसके मानने के तरीके ने मेरे धर्म का निर्धारण कर दिया ! मूर्ति उपासक हुआ तो हिंदू, नमाज पढ़ने वाला हुआ तो मुसलमान, बाइबिल पढ़ने वाला बना तो ईसाई !
तो कौन कहता है इंसान किसी धर्म में पैदा होता है ?
इंसान के मानने का तरीका उसे अमुक धर्म का बनाता है और किसी भी धर्म के ईश्वर ने खुद आकर अपना साक्षात्कार भी नहीं दिया कभी, जब भी ईश्वर से परिचय हुआ तो सांसारिक, भौतिक-क्षणभंगुर इंसानों के शब्दों के माध्यम से ही हुआ !
मन के विचलन में शाब्दिक मरहम और भावभंगिमा कितनी सफल औषधि का कार्य करते है, गर ये समझना हो तो जानवरों को ट्रेनिंग देने वालो को ही देख लीजिये, मनोचिकित्सकों को भी इस काम में महारथ हासिल है तभी तो वे अर्ध-विक्षिप्तो को भी अपनी मोहिनी शब्द जालो का मुरीद बना के उनका इलाज कर देते है फिर जो विक्षिप्त नहीं है उन्हें प्रभावित करना तो बेहद आसान है , ये ठीक उसी तरह है जैसे किसी शराब न पीने वाले इंसान को शराब की दो-तीन चुस्किया दे दी जाए..फिर तो उसके लिए दुनिया डोलने ही लगेगी…कुछ तो शराब का असर होगा और कुछ इस बात का असर होगा कि उसने शराब पी ली है…बात फिर भी मानने पर ही टिकी है मानो तो आपके घर के दरवाजे के पीछे, स्टोर रूप में पसरे अँधेरे , पीपल के पेड़ पर , रात के अँधेरे में डूबी बगिया में , यहाँ तक की रात के अँधेरे में आपके कमरे की छत पर लटके पंखे पर भी कोई भूत है जो रह रह कर आपको दिखाई भी देते है और परेशान भी करते है और न मानो तो ये सब दिखने ही बंद हो जाते है और साथ ही इनका डर भी…

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