आज
की नारी चाहे दफ्तर में रिवाल्विंग चेयर पर बैठ सारी दुनिया को अपनी
उंगलियों पर नचा रही हो या फिर घर-गृहस्थी संभाल रही हो, उसे अपनी पहचान
बनाने और खुद को साबित करने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है।
एक तरफ तो ऐसी महिलाएं हैं जो पूरी दुनिया को बदलने का दम रखती हैं और दूसरी ओर ऐसी महिलाएं भी हैं जो शिक्षित होने के बावजूद घर संभालती हैं, लेकिन उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि घर संभालना भी एक बड़ा काम है। घर-परिवार में बच्चों को सही शिक्षा देकर उन्हें अच्छा नागरिक बनाने में भी महिलाओं का ही हाथ है। घरेलू महिलाएं भी अपने खाली समय का सदुपयोग कर सकती हैं।
संस्कारों की नींव से संवरेगा बच्चों का भविष्य
आए दिन गैंगरैप जैसी घटनाएं और मासूम बच्चियों के साथ घिनौने अपराधों ने आज के पेरैंट्स को लड़कियों की सुरक्षा को लेकर ङ्क्षचता में डाल दिया है। उनकी यह चिंता जायज भी है क्योंकि महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक बच्चयां यौन शोषण का शिकार होती हैं। संस्कार आधारित शिक्षा ही ऐसी घटनाओं को रोकने का एकमात्र साधन है। संस्कार शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनने ही चाहिएं। स्कूल व कॉलेज लैवल पर इसकी शुरूआत होनी चाहिए।
चुनौतियों को जिंदगी के हर मोड़ पर स्वीकार करें
जिंदगी कांटों से भरी पड़ी है, कांटों को चुन कर ही हम अपने लिए आसान रास्ते बना सकते हैं। महिलाओं को संदेश देते हुए वह कहती हैं कि चुनौतियां जो भी हों उनसे डरो नहीं, उन्हें स्वीकार करो और हर चुनौती का डट कर मुकाबला करो।
एक तरफ तो ऐसी महिलाएं हैं जो पूरी दुनिया को बदलने का दम रखती हैं और दूसरी ओर ऐसी महिलाएं भी हैं जो शिक्षित होने के बावजूद घर संभालती हैं, लेकिन उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि घर संभालना भी एक बड़ा काम है। घर-परिवार में बच्चों को सही शिक्षा देकर उन्हें अच्छा नागरिक बनाने में भी महिलाओं का ही हाथ है। घरेलू महिलाएं भी अपने खाली समय का सदुपयोग कर सकती हैं।
संस्कारों की नींव से संवरेगा बच्चों का भविष्य
आए दिन गैंगरैप जैसी घटनाएं और मासूम बच्चियों के साथ घिनौने अपराधों ने आज के पेरैंट्स को लड़कियों की सुरक्षा को लेकर ङ्क्षचता में डाल दिया है। उनकी यह चिंता जायज भी है क्योंकि महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक बच्चयां यौन शोषण का शिकार होती हैं। संस्कार आधारित शिक्षा ही ऐसी घटनाओं को रोकने का एकमात्र साधन है। संस्कार शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनने ही चाहिएं। स्कूल व कॉलेज लैवल पर इसकी शुरूआत होनी चाहिए।
चुनौतियों को जिंदगी के हर मोड़ पर स्वीकार करें
जिंदगी कांटों से भरी पड़ी है, कांटों को चुन कर ही हम अपने लिए आसान रास्ते बना सकते हैं। महिलाओं को संदेश देते हुए वह कहती हैं कि चुनौतियां जो भी हों उनसे डरो नहीं, उन्हें स्वीकार करो और हर चुनौती का डट कर मुकाबला करो।
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