Wednesday, April 23, 2014

मारे शास्त्रों में कहा गया है कि पांच वर्ष की उम्र तक बच्चों को प्यार-दुलार दें। उसके बाद उचित शिक्षा देने के लिए दस वर्ष की उम्र तक उसकी पिटाई करें और जब वह सोलह वर्ष का हो जाए उसके साथ दोस्त जैसा व्यवहार करें।
हाल में किया गया अध्ययन काफी हद तक इस बात की पुष्टि करता है, जिसमें कहा गया है कि जिन बच्चों को तीन साल की उम्र में बार-बार पीटा जाता है, पांच वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर उनके आक्रामक बनने की अधिक संभावना रहती है।
इस अध्ययन से पहले के उन अध्ययनों से प्राप्त नतीजों को भी बल मिलता है, जिनमें कहा गया था कि पीटे जाने वाले बच्चों का बौद्धिक स्तर (आई क्यू) कम पाया गया। यह भी पता लगा कि बच्चों की बार-बार पिटाई का संबंध उनकी चिंता, व्यवहारगत समस्याओं, आक्रामता का खतरा बढ़ने या आपराधिक आचरण, अवसाद और अधिक शराब पीने से है।

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