Tuesday, April 22, 2014

एक कहानी मर्मस्पर्शी और दिल की तहों को छुनें वाली.

कल मैंने भी इंटरनेट पर एक ऐसी ही कहानी पढ़ी जो सोचा आप सब के साथ सांझा की जाए तो लीजिए हाजिए है एक कहानी मर्मस्पर्शी और दिल की तहों को छुनें वाली.



एक दपंति का ग्यारह साल बाद लड़का हुआ. काफी मन्नतें और दुआओं के बाद हुआ यह लड़का उनके लिए काफी सौभाग्यशाली था. उन्होंने बच्चें को बहुत प्यार से पाला पोशा. जब बच्चा करीब दो वर्ष का हुआ तो उस दंपति के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके जीवन को हिलाकर रख दिया.



एक सुबह जब पति ऑफिस के लिए जल्दी जल्दी में तैयार हो रहा था तो उसने देखा उसके बच्चें के हाथ में एक दवाई की शीशी थी. वह दवाई बहुत खतरनाक थी. लेकिन जल्दबाजी में पति ने पत्नी से कह दिया कि बच्चें से दवाई की शीशी लेकर रख दे.



उस समय उसकी पत्नी किचन में व्यस्त थी. उसने बच्चें को नजरअंदाज कर दिया लेकिन तभी बच्चें ने दवाई की शीशी और उसके रंग से आकर्षित होकर उसे पी लिया. वह दवाई बहुत ही जहरीली थी जिसका सेवन बहुत छोटी मात्रा में किया जा था था. जब पत्नी ने यह देखा तो वह सदमे में आ गई कि वह अब पति का किस तरह सामना करेगी. आननफानन में बच्चें को वह अस्पताल लेकर गई जहां बच्चें को मृत घोषित कर दिया गया.





महिला बुरी तरह सहम गई कि अब वह अपने पति का किस तरह सामना करेगी. लेकिन जब उसका पति हैरान परेशान होकर घर आया और अपने बच्चें को मरा हुआ पाया तो काफी देर अपनी पत्नी को बिना किसी भाव के देखता रहा.



काफी देर सोचने के बाद उसने चार शब्द बोलें. पता है यह चार शब्द क्या थे?



यह चार शब्द थे “आई लव यु डारलिंग.”



दरअसल पति को मालूम था कि उसका बच्चा तो अब मर चुका है जो वापस नहीं आ सकता और यह हादसा होता ही नहीं अगर वह खुद उस बोतल को हटा देता. तो पत्नी को दोष देना गलत है. और उसकी पत्नी ने अभी अभी अपने बच्चें को खोया है उस बच्चें को जिसको उसने पूरे नौ महीने अपने गर्भ में रखा था ऐसे में अपनी पत्नी पर गुस्सा करके वह पत्नी को खो देता इसलिए उसने अपने गुस्से पर काबू किया और शांत मन से अपनी पत्नी को प्यार से घर वापस ले आया.





नोट: गुस्सा इंसान का विवेक खत्म कर देता है पर अगर हम गुस्से के समय अपने विवेक का काम लें तो हानि होने से बचा जा सकता है.

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