Thursday, April 17, 2014

कुछ लोग अच्छी प्रतिभा होते हुए भी, आगे नहीं बढ़ पाते ऐसा क्यों ?

किसी की प्रतिभा का तभी परिचय मिलता है जब वह उस दिशा में पुरुषार्थ करता दिखाई देता है। संपत्ति, कीर्ति और श्रद्धा तीनों उपलब्धियां केवल पुरुषार्थ के बल पर ही प्राप्त होती हैं ।

परिश्रम प्रतिभा का पिता है, प्रतीभा हमारे पास लाख हों, योग्यता में हम किसी से कम न हों पर अगर परिश्रम जैसी चीज हमारे पास नहीं है तो हम कदापि आगे नहीं बढ़ सकेंगे। लौकिक हो चाहे अलौकिक, जहां भी जो विभूति , संपदा और सफलता दिखाई पड़ती है, वे परिश्रम के आधार पर ही प्राप्त की जा सकती है।

संघर्ष के आभाव में प्रतिभा भी अरणी में आग की तरह दबी पड़ी रह जाती है। प्रतिभा के अभाव में परिश्रम और पुरुषार्थ के बल पर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है, जबकि परिश्रम के बिना प्रतिभा कुछ भी कर पाने में समर्थ नहीं है। प्रतिभा परिश्रम के अभाव में पंगु और असमर्थ है। सारांश में कहा जा सकता है आलस्य छोड़िये परिश्रमी बनिए।

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