Thursday, April 17, 2014

आखिर खुश होना क्या होता है?

अगर आप एक नौकरी, एक संबंध, या फिर एक ऐसी जीवन-शैली को स्वीकार करते हैं जिसे आप सहन तो कर सकते हैं लेकिन जिसे आप सराह नहीं पाते तो इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि आप अपनी खुशी से ज्यादा किसी और चीज को अहमियत दे रहे हैं।

अगर आप खुद को ऐसी ही एक परिस्थिति में पाते हैं तो इससे बाहर निकलने का एक रास्ता है। अपनी स्थिति को उसी रूप में स्वीकार कीजिए जैसी कि यह है और सबसे जरूरी बात यह है कि इसके बारे में अपनी भावनाओं को स्वीकृति दीजिए। सच्चाई यह है कि जिन चीजों से आपको डर लगता है, वे असलियत में डरावनी हैं ही नहीं।

आखिर खुश होना क्या होता है? जब आप सुबह उठने पर बेहद अच्छा महसूस करते हैं और आप, आज दिन-भर में क्या-क्या कर सकते हैं, इसे लेकर उत्साहित होते हैं तो आप खुश होते हैं। आपकी खुशी, एक बार जागने के बाद आपको बिस्तर पर टिकने ही नहीं देती। नए अनुभवों और रचनात्मक अभिव्यक्ति से भरा हुआ एक बेशकीमती दिन आपका इंतजार कर रहा होता है। खुशी वह स्थिरता है जो कि ऊर्जा और गतिविधि के बीच मौजूद होती है।

इस बात से बेफिक्र रहिए कि अगर आपने, अपनी खुशियों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया तो इससे आपकी दुनिया में तो भूचाल ही आ जाएगा बल्कि इस बात की संभावना अधिक है कि सृष्टि इस बात पर अफसोस जाहिर करे कि ‘आपने इतना वक्त क्यों लगा दिया?

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